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कोई गाँव जलाता है किसी का दिल दहलता है
हयुले में हर एक लेकिन खुदा का नूर लगता है !!!
जमीन पर जो भी आएगा कभी आंसू बहायेगा
जफ़र - ओ - कातिलों में भी मचलता दिल धड़कता है !!!
अजब सी है कहानी ये कहाँ पे ले के जाती है
वहीँ पर जिंदगानी है जहाँ सपना उजड़ता है !!!
तुझे हो क्यों पता "नादां" बशर के दर्द हैं कितनें
कहीं पर चाँद होता है कहीं सूरज निकलता है !!!
उत्पल कान्त मिश्रा "नादां"
अगस्त १४; २००८
२०:२२
10 टिप्पणियां:
अजब सी है कहानी ये कहाँ पे ले के जाती है
वहीँ पर जिंदगानी है जहाँ सपना उजड़ता है !!!
bhaut bhaut sachhyi liye ehsaas hai dost
तुझे हो क्यों पता "नादां" बशर के दर्द हैं कितनें
कहीं पर चाँद होता है कहीं सूरज निकलता है !!!
वाह वाह साहब!! हासिल-ए-गज़ल शेर!!!
न जाने कितनी परतें लिया है ये शेर! हर बार पढो तो कुछ और ही बता जाता है!!
अजब सी है कहानी ये कहाँ पे ले के जाती है
वहीँ पर जिंदगानी है जहाँ सपना उजड़ता है !!!
Kya khub kaha hai aapne.......zindagi ka safar kahan kahan leke jata hai insan ko....:)
phir bhi hum yadoon ke der banake jeete hai.....
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है !बधाई !!
tahe dil shukriya aap sabon ki hausla aafzai ka ... kalam ko naya mukaam mila :)
achhi rachna...
badhai...
yogendra ji ...
Sadar
Aap sam kavi se badhayee pakar apaar harsh hua ..... asha karta hoon ki apki kripa dristi ham par bani rahegi ...
bahut khubsurat hai ...
wakai bahut sahi likha hai aapne
tahe dil shukriya poornima :)
अजब सी है कहानी ये कहाँ पे ले के जाती है
वहीँ पर जिंदगानी है जहाँ सपना उजड़ता है !!!
तुझे हो क्यों पता "नादां" बशर के दर्द हैं कितनें
कहीं पर चाँद होता है कहीं सूरज निकलता है !!!
khoobsurat bayangii..jitna vajan hai utni hi gahraaiii..
or us gahraai mein utarkar vo hi likh sakta hai jisne us dard ko jiya ho,
daad hazir hai padhna accha laga aapko
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