गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

भूख लगी है साहेब .......... !!



















जानता हूँ
कितने विद्वान और
कितने विकसित हैं आप
और जानता हूँ
कितनें उदार ह्रदय
कितनें विकासशील हैं
आप और आपके विचार .......... !!

कृतार्थ हूँ
आपकी दानशीलता का !
आपका हमारी हालत पे
चिंताग्रस्त होनें से
परेशान हूँ मैं
कि कहीं आपकी पेशानी पे
शिकन न आ जाये
दर्द होगा आपको
आदत नहीं है न
हम तो शिकन लेकर ही
पैदा हुए हैं, मरने को ............. !!

बड़ी अच्छी लगती हैं
आपकी बातें
जो बताती हैं
हम कैसे प्रगति करेंगे
पर क्या करें
अच्छी तो लगीं
समझ न आयीं
भूख जो लगी थी
कम्बख्त पेट को कहाँ पता था
आप हमारे हित कि सोच कर
परेशान हो रहे हैं .................. !!

हमें ये भी कहाँ पता था, साहेब
कि, बुद्धि भी पेट के बाद
काम करती है
बस भूख लगी है साहेब .......... !!

हम कृतार्थ हैं ........................ !!

उत्पल कान्त मिश्र "नादाँ"
मुंबई

10 टिप्‍पणियां:

Vishal Kataria ने कहा…

A very witty jibe made at the government...

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

बड़ी अच्छी लगती हैं
आपकी बातें
जो बताती हैं
हम कैसे प्रगति करेंगे
पर क्या करें
अच्छी तो लगीं
समझ न आयीं
भूख जो लगी थी
कम्बख्त पेट को कहाँ पता था
आप हमारे हित कि सोच कर
परेशान हो रहे हैं .................. !!

बहुत बढ़िया !!

Utpal Kant Mishra "NaddaN" ने कहा…

शुक्रिया विशाल

जैदी साहिबा ...... आपकी दाद - ओ - शिताइश का तहे दिल शुक्रिया .......... गुजारिश है कि दास्ताँ - ए - जीस्त पर आपकी इस्सिलाह हो ....... आप सरीखे गज्ज़ाक का मशविरा हमारी सलाहियत के लिए दुरुस्त होगा

दुआओं मैं याद रखनें के लिए

उत्पल
http://utpalkant.blogspot.com/2008/08/blog-post_14.html

daanish ने कहा…

आज के 'बहुत-विकसित' कहे जाने वाले
दौर को बहुत ख़ूबसूरती से बयान किया है
काव्य और सन्देश
दोनों प्रभावशाली .

उत्पल कान्त मिश्रा "नादां" ने कहा…

दानिश जी

आभारी हूँ कि आपने अपना समय मेरी कविताओं को दिया और निरंतर प्रयास करता रहूँगा कि मैं पहले से बेहतर लिख सकूं.

आपके पठन एवं प्रतिक्रियाओं का सदैव इंतज़ार रहेगा.

सधन्यवाद

उत्पल

varsha ने कहा…

कितनें उदार ह्रदय
कितनें विकासशील हैं
आप और आपके विचार .......

The perfect sarcasm is Truth itself -and you perfected it in this poem!
Thanks !

उत्पल कान्त मिश्रा "नादां" ने कहा…

shukriyaa Varsha Ji ! and yes It is the "Truth"

Thanks for reading.

Regards

Utpal

payal agarwal ने कहा…

I missed it..loved it to the core..sometimes sarcasm is the best way to speak up..liked the sarcastic take..

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा रचना

उत्पल कान्त मिश्रा "नादां" ने कहा…

बहुत आभार लाल जी! आपको रचना अच्छी लगी लेखनी सफल हुई !