आज काफी अरसे के बाद
अछाँदसिक कविता गहने की चेष्टा की है ! इस कविता के हर छंद का स्वरुप व प्रारूप भिन्न
है ! आप पाठकों से नम्र निवेदन है कि अपनी प्रतिक्रिया
देकर अपने अनुभव से मुझे अवगत करायें ! प्राथनीय ……।
हवा चले तो पेड़ों से क्या बोले है ?
बहना ही जीवन है भाई, संग हो ले
सुनकर ऐसी मीठी बातें, वह डोले है
साँसों की यह कथा निराली, अंग हो ले !
साँझ सवेरे सपने देखे
दिन अच्छे आएंगे रे
लेकर बैठा पथरायी आँखें
कथा सुनायी, अब सो ले रे !
हवा चले तो पेड़ों से क्या बोले है ?
बहना ही जीवन है भाई, संग हो ले !
सूखे खेत, महाजन नाचे
फटी रजाई, ओढ़ ले भाई
राजा सब की भोज सजी है
तू भूखी सो ले रे माई !
हवा चले तो पेड़ों से क्या बोले है ?
बहना ही जीवन है भाई, संग हो ले !
परदेसी बेटा क्या बोले
उसकी तो है अलग लड़ाई
एक चाकरी के चक्कर में
अपनी रोटी, जमीन गँवाई !
हवा चले तो पेड़ों से क्या बोले है ?
बहना ही जीवन है भाई, संग हो ले !
प्रेम भाव सब उलझ गया है
रिश्तों के अद्भुत गोले में
समझ, समझ कर हम इतना हैं समझे
गुम हुए सारे सिरे उलझे गोले में !
हवा चले तो पेड़ों से क्या बोले है ?
बहना ही जीवन है भाई, संग हो ले !
इन्सान कहाँ ? हम भीड़ हैं साहेब !
हाँकों लाठी से, न बने, तो मारो गोली
महल बना लो हम लाशों की ढेरों पे
मरघट के राजा बन, अरे तुम शान करो साहेब !
हवा चले तो पेड़ों से क्या बोले है ?
बहना ही जीवन है भाई, संग हो ले !
थमा हुआ है सारा जीवन गलियारों में
देख निराली सत्ता की यह नयी लड़ाई
बंधा पड़ा समाज यहाँ सरकारी कागज़ में
जीवन अपना ! उठो, लड़ो और ले लो भाई !
हवा चले तो पेड़ों से क्या बोले है ?
बहना ही जीवन है भाई, संग हो ले !
मजबूरी है,
चाकरी है,
घर की चिंता भी है,
कमजोरी की समझ बड़ी है
ताकत उनकी बहुत बड़ी है
इंसानों की फौज खड़ी है
हथियारों से धौंस जमी है
जमीं - जमीर की लूट मची है
जो सबका था अब उनका है
हम समझ रहे थे, समझ रहे हैं
मजबूरी है, इसकी अपनी भाषा है
न गीत नया न बोल नए हैं
हम पवन नहीं और पेड़ नहीं हैं !
हवा चले तो पेड़ों से क्या बोले है ?
बहना ही जीवन है भाई, संग हो ले !
बदली थी. बदली है, बदलेगी धरती
चक्रवात बन पवन पेड़ों को ले जाएगा
वह आएगा, इक नल्हत की आवाज़ उठेगी
जय भारती, जय भारती, जय भारती !
हवा चले तो पेड़ों से क्या बोले है ?
देख निराले खेल, चलो हम बहते हैं !!!!
उत्पल कांत मिश्र "नादाँ"
१२.११. २०१४
१५:१६
8 टिप्पणियां:
Nic one dear . It's the story of each one struggling for livelihood.Heart touching.
शुक्रिया
bahut badhiya..!
Galti sab se ho jaati hai didi :D is baar hamse bhi ho gayi :D :P
:D
Bahut badia lines hai. Behtarin kavitao me se ek hai ye kavita.
thanks a lot anusia ! Am humbled
Bahut khoob bhai
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