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एक समंद है जीवन मेरा
लहरें बारम - बार !
उठना, गिरना, तरना, बहना
रुकना ना इस पार !!
माई, अल्लाह, राम, श्याम
मौला, गुरुवर तेरा नाम ..... !!
उत्पल कान्त मिश्र “नादां”
मुम्बई
दिसम्बर २८, २०१६
(मेरे एक गीत का अंश)
© Utpal Kant Mishra, 2016
3 टिप्पणियां:
उत्तम प्रस्तुति.
आपका हार्दिक आभार रविन्द्र जी !
I am extremely impressed along with your writing abilities, Thanks for this great share.
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